साल 2019 के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणाओं का सिलसिला शुरू हो चुका है। सोमवार को सबसे पहले मेडिसिन और साइकोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिकों के नामों की घोषणा की गई। इस वर्ष यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अमेरिका के विलियम जी कैलीन जूनियर, ग्रेग एल सेमेंजा और इंग्लैंड के सर् पीटर रेडक्लिफ को दिया गया है।
तीनों वैज्ञानिकों ने अपने व्यक्तिगत शोध में बताया है कि कैसे ऑक्सीजन का स्तर मानव शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इन तीनों वैज्ञानिकों के शोध के बाद हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे ऑक्सीजन के स्तर का स्तर घटने या बढ़ने से मानव शरीर में परिवर्तन आता है। इससे कैंसर, एनीमिया, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का सटीक इलाज खोजने में मदद मिलेगी।
हमें पता है कि जब मनुष्य सांस लेता है तो उसमें ऑक्सीजन नाइट्रोजन और वातावरण में पाई जाने वाली सभी गैसें हमारे फेफड़ों तक पहुंची है। फेफड़ों में पहुंचने के बाद फेफड़ो की कोशिकाएं ऑक्सीजन को अन्य गैसों से अलग कर देती है। जब हम सांस छोड़ते हैं तब अन्य गैसें शरीर से बाहर निकल जाती हैं और ऑक्सीजन रक्त में मिल जाती है। रक्त के द्वारा ऑक्सीजन हमारे शरीर के अरबों कोशिकाओं तक पहुंचती है जहां ऑक्सीजन की मदद से मनुष्य द्वारा खाए गए खाने को ऊर्जा में बदलने का काम होता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी में ऑक्सीजन का स्तर स्थान-स्थान के हिसाब से बदलता रहता है मैदानी भागों में आपको ऑक्सीजन ज्यादा मिलेगी और जैसे-जैसे आप पहाड़ों की तरफ ऊपर बढ़ते जाते हैं ऑक्सीजन का स्तर भी घटता जाता है।
एक समय था जब मनुष्य बंदर और चिंपैंजी के रूप में जंगलों में रहा करता था। समय के साथ ही मानव शरीर और मस्तिष्क का विकास होता गया। आज मानव शरीर और मानव मस्तिष्क पृथ्वी में रहने वाले सभी प्राणी में सबसे विकसित शरीर बन चुका है। कोई तो ऐसी परिस्थिति है जो मानव शरीर को लगातार विकास करने के लिए मजबूर करती है। मनुष्य समाज को एक लंबे समय से पता था कि हमारे शरीर के लिए ऑक्सीजन सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है लेकिन इस बात का ज्ञान नहीं था कि ऑक्सीजन के स्तर में कमी या अधिकता होने से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इन तीनों वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार क्यों मिला-
इन तीनों ही वैज्ञानिकों को 10 दिसंबर को स्वीडन राजधानी स्कॉटहोम में 960000 अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी।
तीनों वैज्ञानिकों ने अपने व्यक्तिगत शोध में बताया है कि कैसे ऑक्सीजन का स्तर मानव शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इन तीनों वैज्ञानिकों के शोध के बाद हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे ऑक्सीजन के स्तर का स्तर घटने या बढ़ने से मानव शरीर में परिवर्तन आता है। इससे कैंसर, एनीमिया, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का सटीक इलाज खोजने में मदद मिलेगी।
हमें पता है कि जब मनुष्य सांस लेता है तो उसमें ऑक्सीजन नाइट्रोजन और वातावरण में पाई जाने वाली सभी गैसें हमारे फेफड़ों तक पहुंची है। फेफड़ों में पहुंचने के बाद फेफड़ो की कोशिकाएं ऑक्सीजन को अन्य गैसों से अलग कर देती है। जब हम सांस छोड़ते हैं तब अन्य गैसें शरीर से बाहर निकल जाती हैं और ऑक्सीजन रक्त में मिल जाती है। रक्त के द्वारा ऑक्सीजन हमारे शरीर के अरबों कोशिकाओं तक पहुंचती है जहां ऑक्सीजन की मदद से मनुष्य द्वारा खाए गए खाने को ऊर्जा में बदलने का काम होता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी में ऑक्सीजन का स्तर स्थान-स्थान के हिसाब से बदलता रहता है मैदानी भागों में आपको ऑक्सीजन ज्यादा मिलेगी और जैसे-जैसे आप पहाड़ों की तरफ ऊपर बढ़ते जाते हैं ऑक्सीजन का स्तर भी घटता जाता है।
एक समय था जब मनुष्य बंदर और चिंपैंजी के रूप में जंगलों में रहा करता था। समय के साथ ही मानव शरीर और मस्तिष्क का विकास होता गया। आज मानव शरीर और मानव मस्तिष्क पृथ्वी में रहने वाले सभी प्राणी में सबसे विकसित शरीर बन चुका है। कोई तो ऐसी परिस्थिति है जो मानव शरीर को लगातार विकास करने के लिए मजबूर करती है। मनुष्य समाज को एक लंबे समय से पता था कि हमारे शरीर के लिए ऑक्सीजन सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है लेकिन इस बात का ज्ञान नहीं था कि ऑक्सीजन के स्तर में कमी या अधिकता होने से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इन तीनों वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार क्यों मिला-
विलियम G कइलीन जूनियर ( William G Kaelin Jr. )
विलियम काईलीन दाना फाइबर इंस्टिट्यूट ऑफ़ कैंसर बर्मिंघम में एक प्रोफेसर है। अपने कॉलेज को पूरा करने के बाद विलियम को वोन हिपन लिंडाउ नाम के कैंसर में रुचि पैदा हुई। यह बीमारी शरीर में रक्त वाहिनी और एरिथ्रोपीटिन हार्मोन के अधिक मात्रा में बनने से होता है। एरिथ्रोपीटिन हार्मोन हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकाएं ही हमारे शरीर में ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार रहती है। विलियम ने यह पता लगाया कि हमारे शरीर की कोशिकाएं ऑक्सीजन के स्तर के हिसाब से कैसा व्यवहार करती हैं।ग्रेग एल सेमेंजा (Gregg L. Semenza)
ब्रेक सिलेंडर इंस्टिट्यूट में जेनेटिक्स मेडिसन के प्रोफेसर हैं। ग्रेग सेमेंजा जब कैंसर पर रिसर्च कर रहे थे तब उनका ध्यान इस बात पर गया कि वह कौन सी चीज है जो कैंसर या ट्यूमर से ग्रसित कोशिकाओं को अपने अगल-बगल के कोशिकाओं में फैलने में मदद करता है। तभी उनका ध्यान एरिथ्रोपीटिन हार्मोन पर गया जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। उनका मानना था कि कैंसर युक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन की तलाश में अगल बगल की कोशिकाओं में फैलते हैं और उनका यह अनुमान शोध के साथ सही साबित हुआ।पीटर जे रेडक्लिफ (Sir Peter J. Ratcliffe)
नोबेल पुरस्कार विजेता पीटर्स रेडक्लिफ फ्रैंक क्रिक इंस्टीट्यूट ऑफ लंदन में क्लिनिकल रिसर्च के डायरेक्टर हैं। पीटर रेडक्लिफ 2016 इस बात पर काम कर रहे थे कि एरिथ्रोपीटिन हार्मोन कैसे ऑक्सीजन के स्तर में कमी या अधिकता होने पर लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को नियंत्रित करता है। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर को वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी या अधिकता महसूस होती है तो उसी अनुपात में शरीर लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है।
इन तीनों ही वैज्ञानिकों को 10 दिसंबर को स्वीडन राजधानी स्कॉटहोम में 960000 अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी।






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